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Tuesday, January 14, 2014

FUTURE PLANNING OF KBKS





भविष्य की योजना व गंभीर चुनौतियांः-



        आज वर्तमान समय में आदिवासीयों के अस्तित्व खतरे में है इसे बचाये रखना एक गंभीर चुनौती है । आदिम जन जाति का जीवन उनके परंपराओं और वनों पर आधारित होती है । जिसमें प्रमुख रूप से कोया पूनेम संस्कृति, भाषा, लिपि, नृत्य, गीत, वाद्य, सादगीपूर्ण जीवनषैली का संरक्षण, वैद्य एवं आध्यात्मिक शिक्षा का प्रसार करना, बस्तर में शांत कायम करना,षोषण, अत्याचार, भ्रष्टाचार, मानव उत्पीड़न एंव धर्मातंरण से जन जाति समुदाय को मुक्ति दिलाना वर्तमान समय में गंभीर चुनौती है जिस पर हम अपने साथियों के साथ निकट भविष्य में इन विषयों पर कार्य करेगें, हमारे भविष्य की कार्य योजना निम्नानुसार है


1. स्व सहायता समुहों/  को आर्थिक  आत्मनिर्भर बनाकर समाज की अर्थव्यवस्था को मजबुत करना ।
2. विष्व संस्कृति की जननी गोंडी संस्कृति में निहित परम्परागत ज्ञान का षोध एवं संरक्षण कर नई पीढ़ी को वैज्ञानिक सम्मत ज्ञान का प्रसार करना ।
3. पर्यावरण में असंतुलनकारी तत्वों से मुकाबला करने क्योटों प्रोटोकाल में वर्णित चिंतनीय बिन्दुओं को केन्द्रित करते हुए नवीन वैज्ञानिक खोजों, प्राचीन सभ्याताओं में निहित अच्छाईयों, मानवीय संवेदनाओं का निरंतर अध्ययन करना।
4. आदिवासी संस्कृति में विद्यमान वैज्ञानिक तथ्यों, सांस्कृतिक मूल्यों व सहिष्ण्ुता के निहित मूल्यों का व्यापक स्तर पर प््राचार कर उनके पूर्वाग्रह को तोड़ना ।
5. आदिवासयों के सांस्कृतिक , धार्मिक , ऐतेहासिक स्थलों के संरक्षण एवं संवर्धन के कार्य।
6. समाजिक - आर्थिक , सांस्कृतिक रूप से दबे हुए एवं वर्षों से षोषित जन जातियों का सांख्यिकीय मॉडल ;प्रजाति प्रतिचयन संसूचक प्रष्नावली द्ध के द्वारा चयन कर उनमें आत्मविष्वास जगाकर उन्हे विकास की मुख्य धारा से जाड़ने का प्रयास ।
7. बस्तर संभाग के दुरस्थ अंचलों में निवासरत एवं विकास के मुख्यधारा से वंचित अति गरीब व्यक्तियों के विकास एवं आत्मनिर्भरता हेतु विकेन्द्रीकृत आर्थिक विकास मॉडल क्म्क्ड के द्वारा कार्य करना ।
8. कोया पुनेम धर्म संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन और आदिवासीयों के परम्परागत ज्ञान एवं जानकारी का षोध एंव संरक्षण करना जो नई पीढ़़ी के लिए आदर्ष बन सके ।
9. युवा वर्ग के मानसिक ,षारीरिक, बौद्धिक विकास हेतु व्यक्तित्व विकास , दक्षता विकास कार्यक्रमों आयोजन ।
10. गोड़वाना समाज में बुजुर्ग और युवा वर्ग में समन्वय स्थापित करना जिससे आने वाली पीढ़ी अपने सांस्कृतिक धरोहर को बचा पाये ।
11. समाज में व्याप्त बुराईयों , रूढ़ियों को दूर करना, पूर्वाग्रह, हीनभावना से ग्रसित समुदाय को उससे निकालना ।
12. समुदाय आधारित संगठनों का निर्माण कर उन्हे अपने अधिकारों के लिए जनवकालत करने सषक्त करना।
13. बस्तर अंचल में बढ़ते औद्योगिकीकरण से वन क्षेत्रों में बसे आदिवासयों पर विस्थापन का खतरा मंडराने लगा हैै। आदिवासी आजीविका के साधन जल, जंगल और जमीन के सामुहिक प्रबंधन से दीर्घकालीन खाद्य सुरक्षा सुनिष्चित होगी । इस विषय पर व्यवस्थित कार्य योजना बनाकर सतत कार्य किया जायेगा।
14. स्थानीय स्तर पर उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन ;छत्डद्ध, माडल पर आधारित आय-उपार्जन कार्यक्रमों द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबुत करना और ग्रामीण स्थानीय समुदाय को लघु वनोपज पर मालिकी हक दिलाना ।
15. निर्णय व निर्माण की प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी सुनिष्चित करना और आजीविका सुरक्षा निष्चितता के लिए प्रभावकारी योजना का निर्माण करना।
16. पंचायती राज व्यवस्था के तहत आदिवासी क्षेत्रों में ग्राम सभा को प्राप्त विषेष अधिकार का सही इस्तेमाल कर लोक हितकारी नीतिंयों को लागू की जा सके ।
17. सुचना एक षक्ति है लोगों में जानकारी का स्तर 

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