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Friday, August 5, 2022

#ग्राम _सभा_सशक्तिकरण_हेतु

#एक_कदम.........
                      #गाँव_की_ओर........
#ग्राम _सभा_सशक्तिकरण_हेतु.....
           #प्रथम_चरण

आइए चलें अपने-अपने ग्राम सभा को सशक्त करने के लिए ताकि हम सब- "मावा नाटे मावा राज" - "अबुआ दिशुम अबुआ राज"  की सपना को साकार कर सकें।

एक कदम.... गाँव की ओर
एक कदम..... पुरखो के ज्ञान की ओर

एक कदम...... गाँव की ओर
एक कदम...... संस्कृति को समझने की ओर

एक कदम.... गाँव की ओर
एक कदम.... संविधान को समझने की ओर

एक कदम.... गाँव की ओर
एक कदम...... पेशा कानून को समझने की ओर

एक कदम...... गाँव की ओर
एक कदम...... रोफरा कानून को समझने की ओर

एक कदम .... गाँव की ओर
मेरे गांव में.. मेरी सरकार बनाने की ओर

एक कदम... गाँव की ओर
मेरे गांव में.... स्वशासन लाने की ओर

एक कदम... गाँव की ओर
जल-जंगल-जमीन को बचाने की ओर

एक कदम.... गाँव की ओर
जैवविविधता को संवर्धित करने की ओर

एक कदम...गाँव की ओर
खेलों में पदक विजेता बनने की ओर

एक कदम... गाँव की ओर
शिक्षा में  नई ऊचाई छुने की ओर

एक कदम ....गाँव की ओर
जल जगंल जमीन को अपना बनाने की ओर

एक कदम... गाँव की ओर
गावों को आत्मनिर्भर करने की ओर

एक कदम... गाँव की ओर
अपनी आजी काको की परम्पराओं को बचाने की ओर

एक कदम.. गाँव की ओर
अपने डीएनए में छुपे ज्ञान को पहचानने की ओर

एक कदम... गाँव की ओर
लैंगिक भेदभाव मिटाने की ओर

एक कदम...गाँव की ओर
अपनी गाँव में अपनी सरकार लाने की ओर

एक कदम.. गाँव की ओर
कर्जमुक्त रोजगार युक्त आत्मनिर्भर समुदाय बनाने की ओर

एक कदम... गाँव की ओर
गाँव की भाषाओं को.. आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की ओर
एक कदम.. गाँव की ओर
प्रकृति-पर्यावरण को बचाने की ओर

एक कदम... गाँव की ओर
गाँव के ज्ञान विज्ञान को सीखने की ओर

एक कदम... गाँव की ओर
RoFRA, PESA को जानने की ओर

एक कदम.. गाँव की ओर
लड़ाई झगड़े मिटाने की ओर

एक कदम... गाँव की ओर
गाँव से पलायन रोकने की ओर

एक कदम... गाँव की ओर
गाँव में प्रतिभाओं को तलाशने की ओर

एक कदम... गाँव की ओर
कोया पुनेम को समझने की ओर

एक कदम ...गाँव की ओर
हरियाली को बचाने की ओर

एक कदम... गाँव की ओर
अपने गाँव का अपना ब्रांड बनाने की ओर

एक कदम.. गाँव की ओर
अपना उत्पाद, अपना ब्रांड.. अपना निर्यात

एक कदम.. गाँव की ओर
रूढ़ि परम्परा.. बचाने की ओर

एक कदम... गाँव की ओर
अपने गाँव में... अपने विधान की ओर

एक कदम... गाँव की ओर
हर गाँव में... ग्राम न्यायालय की ओर

एक कदम.... गाँव की ओर
गाँव स्वराज लाने की ओर

"🖋️KBKS  लिगल एड विंग "

*वन अधिकार मान्यता कानून को धरातल में क्रियान्वयन के लिए बैठक*

वन अधिकार मान्यता कानून को धरातल में क्रियान्वयन के लिए बैठक 

बस्तर संभाग के NGO और आदिवासी समुदाय के सामाजिक पदाधिकारीयों के साथ दिनांक 20.09.2021 दिन रविवार को चारामा ब्लाक के ग्राम चांवड़ी में सहभागिता समाज सेवी संस्था के भवन में वन अधिकार मान्यता कानून 2006 के क्रियान्वयन के संबधं बैठक आयोजित किया किया गया था जिसमे दिल्ली से आये बिराज पटनायक NFI, सहभागिता समाज सेवी संस्था, नवोदित समाज सेवी संस्था, परिवर्तन समाज सेवी संस्था, दिशा समाज सेवी संस्था, चौपाल, प्रदान, खोज संस्था के लोग उपस्थित रहे ।

 कांगे - कालेज के दौरान हमें एक तखती पकडाकर आन्दोलन में हिस्सा लेते थे उस तखती में यही लिखा हुआ करता था जल, जंगल, जमीन हमारा है, नारा भी यही लगते थे जब वापस घर में जाने के बाद पता चला कि जंगल वन विभाग का, जल सिंचाई विभाग का और गांव में बचा जमीन राजस्व विभाग के हाथों में है । मन में प्रश्न खड़ा होता था आखिर जल जंगल जमीन किसका है ? जब हम लोग इस प्रश्न का हल खोजन के लिए निकले तो पंचायती राज अधिनियम के अध्याय 14 के 129 ग में एक शब्द लिखा है गांव के सीमा के भीतर प्राक्रतिक स्रोतों को जिनके अंतर्गत भूमि, जल तथा वन आते हैं उसकी परम्परा के अनुसार प्रबंधन करने का अधिकार ग्राम सभा को दिया गया है। लेकिन इस कानून में गाँव के सीमा को परिभाषित नहीं किया गया है। 2006 में वन अधिकार कानून आया हम लोग इस दोनों पेसा कानून और वन अधिकार कानून को जोड़ कर काम कर रहें हैं, वन अधिकार का ग्राम सभा पेसा से उठाया गया है और पेसा का ग्राम सभा को पंचायती राज अधिनियम को तोड़ता कर बनाया गया है मतलब सरपंच और सचिव का नहीं चल सकता, पंचायती राज अधिनियम 1993 का ग्राम सभा 85 ब्लाकों में नहीं चल सकता इस बात को कलेक्टर और डीफओ को समझ आना चाहिए जिसके कारण रोना रो रहे हैं ग्राम सभा में फोरम नहीं होता लेकिन हमने करके देखे हैं फोरम पूरा हुआ है समुदाय शामिल हुआ ।  वन अधिकार कानून 2012 में संसोधन किया गया जिसमे गांव के पारम्परिक सीमा को निर्धारित किया गया, हमने 2013-14 में ही खैरखेडा से सामुदायिक अधिकार व सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के लिए काम करना शुरू किया इस दरमियान भी बहुत सारी समस्या हुआ प्रशासन को इस कानून की कुछ भी समझ नहीं था जिसके कारण बहुत बहस हुआ, 2014-2015 में समाज के साथ जगदलपुर में एक बैठक हुआ समाज के पास भी हमने प्रस्ताव रखा लेकिन समाज के लोगों के पास भी समझ नहीं था इस कानून का कि कैसे जंगल को गांव वालों दे सकते हैं । इस दरमियानी कांकेर जिले में बहुत सारे गांव में दावा किया गया । लेकिन शासन प्रशासन में समझ नहीं होने के कारण अधिकार पत्र प्राप्त नहीं हुआ । उसके बाद हमने अपनी रणनीति पर बदलाव करते हुए प्रशासन के साथ बैठना शुरू किए टेबल टाक बैठक हुआ । समाज का बहुत आंदोलन शुरू हुआ,  2018 के विधानसभा चुनाव  में समाज के दबाव के कारण कांग्रेस अपने चुनावी घोषणापत्र में पालन करने की बात कही । और सत्ता में चुनकर आई । इस दरमियान सरकार और प्रशासन के साथ कई दौर का बैठक हुआ । सामुदायिक वन संसाधन दिलाने के लिए नगरी ब्लाक के कुछ गांव को चयनित किया गया वो इसलिए क्योंकि राजीव गांधी का जंयती मनाने के लिए दुगली में आने वाले थे और हमें इसी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के हाथों से अधिकार पत्र दिलवाना था, सरकार की इच्छा शक्ति थी कि छत्तीसगढ़ में जबर्रा का पहले सामुदायिक वन संसाधन का अधिकार पत्र मुख्यमंत्री के हाथों से प्राप्त हुआ । जबर्रा के बाद वन अधिकार का मार्गदर्शिका तैयार किया गया । जबर्रा का दावा फार्म मात्र 21 दिन में तैयार किया गया और समुदाय शामिल हुआ फोरम भी पूरा हुआ जबर्रा से पहले हम ने कांकेर जिले में  20 गांव का दावा फार्म तैयार कर लिए थे, मुख्यमंत्री का कांकेर का दौरा हुआ वंहा पर 20 गांव का मुख्यमंत्री के हाथों से दिया गया, तब थोड़ा बहुत अधिकारियों में कानून का समझ बनी सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन बाद में राजनिति हावी होने के कारण जल्द बाजी में व्यवधान उत्पन्न हुआ और गलत अधिकार पत्र जारी होने लगा, जिसे आज सुधारने की जरुरत है । हमने एक तिथि निर्धारित किये हैं 11 हजार ग्राम सभाओं में दावा कम्प्लीट करने के लिए ।