AGRICULTURE DEVELOPMENT WING
टिकाउ आजिविका / प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र
गोड़ समाज भारत वर्ष के छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर संभाग में आदिकाल से निवासरत है, गोड़ समाज का आजीविका के टिकाउ साधन में मुख्य रूप से कृषि उपज, पष्ुापालन और वनोपज हैं। गोंड़ समाज परम्परागत रूप से अपने-अपने भोजन, खाद्य सामग्री के बाद स्वयं के व्यवस्था से मनोरंजन के साधन को अपनाते आ रहे है । दिन भर के श्रम के बाद रात में सामुहिक रूप से गीत गाते है , नृत्य करते है , प्रत्येक मौसम और पर्वो के अनुरूप वाद्य यत्रों का निर्माण भी हमारा समाज स्वयं के साधन से तैयार करते है , गीत नृत्यों में गोंड़ समाज के परम्परागत आदिवासी संस्कृति का झलक सुनने एवं देखने को मिलता है ।
कृषि में धान, मक्का, ज्वार, कोदों, कुटकी, उड़द, तिल, मूंग, कुल्थी , दलहन-तिलहन की खेती परम्परागत तरीके से करते है । हमारे संगठन द्वारा जन जाति समुदाय के लोगों में परंम्रागत बिजों के संर्वधान के साथ उन्नत कृषि, आधुनिक कृषि तकनीक को अपनाने की सलाह सेमीनार, सभा-सम्मेलन के माध्यम से देते हैं ।
कृषि के अतिरिक्त पषुपालन का कार्य भी परंपरा से चली आ रही है , आजादी के बाद जन जाति समुदाय के लोग षिक्षा की ओर आकर्षित होकर स्कुल कालेज जाने लगे हैं जिससे जन जाति समुदाय में कृषि के साथ पष्ुापालन हाथ से निकलते जा रहा है । इसके लिए हमारे संगठन की ओर से ग्रामीण एवं विकास खंड स्तर पर सामाजिक सम्मेलन विचार गोष्ठी आयोजित कर लोगों को चेतना जागृत कर रहे है । उन्नत कृषि के साथ दुग्द्य दत्पादन तथा गोबर खाद का फसल उत्पादन में और इसके पौष्टिक तत्व के महत्व पर ध्यान आकर्षित कर रहें है।
कृषि उपज , पषुपालन के अतिरिक्त जन जाति समुदाय के जीविका का अन्य प्रमुख साधन लघु वनोपज के संग्रहण एंव बिक्री कर जरूरत के सामान क्रय करते है। इसमें हमारे संगठन द्वारा वनोपज संग्रहणकर्ता षासन के वनोपज संबंधी योजनाओं के बीच समन्वय स्थापित कर लघ्ुा वनोपज के व्यवसाय को आदिवासीयों के स्व-सहायता समुहों के माध्यम से व्यवसाय कराने हेतु जन जाति समुदाय एवं षासन का ध्यान आकृष्ट कर रहे है, तथा आदिवासी लोगों को लघु वनोपज के व्यवसाय में भागीदारी बढ़ाने हेतु प्रोत्साहित कर रहे है । षासकीय योजनाओं से लाभन्वित होकर आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सम्पन्न बनाने हेतु मार्ग दर्षन दे रहे है । इससे जन जाति समुदाय के लोगों मे धीरे धीरे जागरूकता आ रही है ।
जन जाति समुदाय के लोगों में परंपरागत रूप से काष्ट कला , मूर्ति कला , षिल्प कला , बिल्डिंग मित्री के कार्य में हुनर देखने को मिलता है , पूंजी के आभाव में जन जाति समुदाय के लोग केवल मजदुर के रूप में कार्य करते है अतएव उन्हे उचित मार्गदर्षन एवं षासकीय सुविधा का लाभ लेकर ऐसे कारोबार का स्वामित्व हेतु मार्गदर्षन दे रहे है ।
वर्तमान समय में संविधान में प्रदत प्रावधन के अंतर्गत षैक्षिणिक सुविधा से मात्र लगभग एक प्रतिषत लोग ही लाभान्वित होकर भिन्न भिन्न संस्थानों में नौकरी कर रहे है , जिन्हे हमारें संगठन के ओर से अपने-अपने कर्तव्य एवं उत्तरदायित्वों का निर्वहन निष्ठा , लगन एवं ईमानदारी से सेवा करने हेतु मार्गदर्षन दी जाती है।
प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में अनुभव -
वन एवं वन्य प्राणी संरक्षण - इस क्षेत्र में जन जाति समुदाय के लोगों में वन एवं वन्य प्राणी संरक्षण का महत्व मानव जीवन के संदर्भ में चेतना लाई जा रही है जिससे लोगों में वन एवं वन्य प्राणी संरक्षण के प्रति उत्साह बढ़ रही है ,परंतु षासन द्वारा अपने आय बढ़ाने तथा व्यापारियों द्वारा जंगल की अवैध कटाई से वन एवं वन्य प्राणी का विनाष बढ़ते जा रहा है अतएव अत्यधिक वन की कटाई एवं अवैध षिकार से संतोषप्रद परिणाम नहीं मिल रहा है ।
वन संरक्षण से वनौषधि,कंद-मूल, फल, षहद की पर्याप्त उपलब्धता सुनिष्चित है अतएव ऐसे वनौषधि का सीमित दोहन एवं समुचित उपयोग हेतु लोगों को जागृत किया जा रहा है यथा संभव प्रतिरोपित करने हेतु प्रेरित कर रहे है। जल,जंगल, जमीन आदिम जन जाति समुदाय के लिए एक दूसरे के पूरक है अतः इन तीनों का संरक्षण मानव समाज के लिए परम आवष्यक है
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