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Tuesday, January 14, 2014

ECONOMICS & SELF EMPLOYMENT WING




आर्थिक विकास व स्वरोजगार विंग

          बेरोजगार युवा वर्ग को विभिन्न सेवाओं में भर्ती में मार्गदर्शन देने के अतिरिक्त स्वरोजगार के प्रति प्रोत्साहित किया जाता है ग्रोवर्स कान्सेप्ट मार्केटींग सिस्टम पर आधारित बाजार व्यवस्था में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को प्रत्यक्ष भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु जागृत करते है । इस व्यवस्था का आशय उत्पादक को अधिकतम मूल्य के साथ-साथ अंतिम उपभोक्ता को न्युनतम रियायती मूल्य पर आवश्यक सामग्री सुलभ कराना है। इसमें बीच के मध्यस्थ व्यवसायियों के आमदानी में कटौती करते हुए उपभोक्ताओं को राहत दिलाने का प्रयास है। इससे यहां के युवा वर्ग रूचि लेकर गांव-गांव जा कर लोगों को इस व्यवस्था से लाभ के संबंध में बताते हुए प्रत्यक्ष कारोबार का लाभ आम उपभोक्ता को सुलभ करा रहे है।



1. स्वरोजगार को प्रोत्साहन - केबीकेएस के संस्थापक गरीब परिवार से होने के कारण अपने उपर बिते आर्थिक तंगी को और दुसरों के उपर नहीं देखने के सपने को ले कर समाज में आर्थिक नाकाबंदी करने के लिए युवा बेरोजगारों के साथ मिलकर स्थानीय उपलब्ध संसाधनों का लाभ स्वयं समाज को दिलाने अभियान छेडा। और अपना समय विभिन्न समाज सेवी संस्था, संगठन के माध्यम से विगत 7 वर्ष सें प्रमुख रूप से जागरूकता, क्षमता वृद्धि एवं स्वरोजगार के कार्य पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित किये है। हमारा मुख्य ध्येय स्वरोजगार को प्रोत्साहन देना रहा है ।

ऽ स्वरोजगार/वनोपज संग्रहण- केबीकेएस संगठन चारामा ब्लाक के समस्त 98 गांवो को 10 कलस्टर में बांट कर सघन रूप से इस क्षेत्र में कार्य कर रहा है। नवोदित द्वारा इस वर्श 9 कलस्टर कसावाही, पुरी, परसोदा, लिलेझर, हाराडुला, लखनपुरी, खरथा, चारामा और अरौद में एक एक समुह शिक्षित बेरोजगारों का समुह गठित किया गया । जो वनोपज महुआ, टोरा , इमली, चार चिरौजी, गुठली आदि का खरीदी बिक्री, संग्रहण एवं उचित बाजार व्यवस्था का कार्य देख रहे है। और कांकेर जिले के आलावा बस्तर जिला में भी स्थानीय स्वारोजगार को ब और अगामी भविश्य में संगठन को चारामा ब्लाक के आलावा पुरे कांकेर जिला में विस्तार करने के पष्चात बस्तर संभाग में विस्तार करने की योजना है। नवोदित समुदाय आधारित संगठन कोया भ्ुामकाल क्रांति सेना के माध्यम से स्वरोजगार को ब

नवोदित के मार्गदर्षन में केबीकेएस गरीब,आदिवासी, पिछड़े, वंचित, षोषित व बेरोजगार युवा साथियों को परंपरागत जीविकोपार्जन के साधन कृषि, कुटीर उद्योग, हस्तशिल्प, वनोपज संग्रहण के लिए प्रोत्साहित करने एवं स्थानीय उपलब्ध संसाधनों के समुचित उपभोग के अधिकारों का संरक्षण, संवर्धन एवं विकास के लिए निरंतर कार्य कर रही है। साथ ही बचत समुहों के जरीये किसी दुसरे पर से आर्थिक निर्भरता कम करके दलाली प्रथा को दुर करने एवं मितव्ययी

ऽ शासकीय योजनाओं से लिकेंजः- जन जातियों के विकास के लिए सरकार के कई विशेष पेकेज/ योजनाऐं लागू है, इसके बावजूद इनकी स्थिति ज्यों की त्यों बनी है, कारण जागरूकता की कमी या जानकारी का आभाव मुख्य वजह रही । इस समस्या को दूर करने हमने बेरोजगार युवा साथियों को शासन की विभिन्न योजनाओ के बारे में जानकारी देने छाटे-छोटे प्रशिक्षण आयोजित कर उन्हे कई योजनाओें के साथ जोड़कर रोजगार प्रदान करने में हमने मुख्य भुमिका निभाई ।

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